आपमें से कुछ को शायद पता हो कि देसीपंडित ने हाल ही में एक पाठक सर्वेक्षण करवाया था. पैट्रिक्स ने आज उसके परिणामों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है.
सर्वेक्षण का एक प्रश्न जो हिंदी से संबन्धित था, उसमें पूछा गया था कि आप कितनी बार देसीपंडित का हिंदी अनुभाग देखते हैं? इसके जवाब में 73% लोगों का कहना था 'कभी नहीं'. ज़ाहिर सी बात है. आख़िर मुख्यतः अंग्रेज़ी की साइट है. पहले पन्ने पर सिर्फ़ अंग्रेज़ी के ब्लॉग ही आते हैं. अंग्रेज़ी में कुल ब्लॉगों की संख्या भी ज़्यादा है, देसीपंडित पर ब्लॉग कवर करने वालों की भी, और वहाँ चर्चित ब्लॉगों की भी. फिर उसमें बाकी भाषाओं के पाठक मिला लें तो 73% कुछ निराशाजनक नहीं लगता.
उल्टे मुझे ये जानकर आश्चर्य-मिश्रित ख़ुशी हुई कि देसीपंडित को पढ़ने वालों में से 27% ऐसे हैं जिन्होने कभी न कभी हिंदी अनुभाग देखा है. इनमें से 9% इसे कभी-कभी देख लेते हैं और 3% अक्सर पढ़ते हैं.
तो चलिए एक तुरत-फ़ुरत का उपसर्वेक्षण करते हैं - आप उन 3%(अक्सर पढ़नेवालों) में हैं, या 73% (कभी नहीं देखने वालों) में या कहीं बीच में?
सर्वेक्षण का एक प्रश्न जो हिंदी से संबन्धित था, उसमें पूछा गया था कि आप कितनी बार देसीपंडित का हिंदी अनुभाग देखते हैं? इसके जवाब में 73% लोगों का कहना था 'कभी नहीं'. ज़ाहिर सी बात है. आख़िर मुख्यतः अंग्रेज़ी की साइट है. पहले पन्ने पर सिर्फ़ अंग्रेज़ी के ब्लॉग ही आते हैं. अंग्रेज़ी में कुल ब्लॉगों की संख्या भी ज़्यादा है, देसीपंडित पर ब्लॉग कवर करने वालों की भी, और वहाँ चर्चित ब्लॉगों की भी. फिर उसमें बाकी भाषाओं के पाठक मिला लें तो 73% कुछ निराशाजनक नहीं लगता.
उल्टे मुझे ये जानकर आश्चर्य-मिश्रित ख़ुशी हुई कि देसीपंडित को पढ़ने वालों में से 27% ऐसे हैं जिन्होने कभी न कभी हिंदी अनुभाग देखा है. इनमें से 9% इसे कभी-कभी देख लेते हैं और 3% अक्सर पढ़ते हैं.
तो चलिए एक तुरत-फ़ुरत का उपसर्वेक्षण करते हैं - आप उन 3%(अक्सर पढ़नेवालों) में हैं, या 73% (कभी नहीं देखने वालों) में या कहीं बीच में?
6 comments:
मै इन ९ % मे हूँ! चिट्ठाकारी से परिचित होने के शुरुवाती दिनो मे अक्सर देख लेती थी, लेकिन अब काफी कम देखती हूँ.
दयनीय हाल है भैये! :(
इस प्रतिशत को बेहतर करने के लिये आप क्या कर रहे हैं? अगर देसीपंडित वाले अनुमति दें तो हम एक नारद का एक छोटा फ़्लैश विज्ञापन बना कर वहां लगा सकते हैं.
दयनीय है क्योंकि आप नहीं पढ़ते या फिर आपने सर्वेक्षण में हिस्सा नहीं लिया. :)
नहीं सीरियसली, इसके परिणामों में वो देखने की कोशिश मत करें जो वहाँ नहीं है. तमिल ब्लॉग हिंदी चिट्ठों से संख्या और प्रसार में बहुत आगे हैं, पर इस सर्वे में तमिल अनुभाग कभी न देखने वाले ८९% हैं, हिंदी से १६% ज़्यादा. बाक़ी भाषाओं का स्कोर इससे भी बुरा है. ध्यान रखें कि देसीपंडित का आधे से अधिक पाठकवर्ग ग़ैर हिंदीभाषी है. अब उनसे तो ये उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे हिंदी चिट्ठे पढ़ें.
प्रतिशत बेहतर करना न मेरे लिए संभव है न मेरा उद्देश्य. मेरा उद्देश्य बड़ा सीधा है - अपनी पसंद के चिट्ठों को वहाँ चस्पा करता रहूँ. कोशिश ये रहती है कि विविधता हो. उम्मीद ये रहती है कि शायद उस खिड़की से कोई हिंदी भाषी देसीपंडित पाठक झाँके और उसे एक पूरा संसार दिख जाए.
अब क्या कहें?? कोशिश भरसक है कि कुछ स्तर बनें.
मैं देसी पंडित की सारी भाषा की RSS फीड देखता हूं अंग्रेजी की पढ़ता हूं पर हिन्दी की नहीं। यह केवल इसलिये कि हिन्दी में मैं स्वयं सारी चिट्ठियां देक लेता हूं। आने वाले समय पर जब हिन्दी की चिट्ठियों की संख्या प्रति दिन हजार हो जायगी तो इस तरह कि सेवा महत्वपूर्ण हो जायगी शायद यह अभी उतनी महत्वपूर्ण नहीं है। उस समय इस तरह की सेवायों की निष्पक्षता की भी आवश्यकता होगी।
मेरे विचार से इस सेवा में चयन बेहतर हो सकता है।
वाह, एक दृष्टिकोण से यह काफ़ी सकारात्मक ख़बर है। मैं तो उन तीन फ़ीसदी लोगों में शुमार करता हूँ, जो अक़्सर देसीपण्डित का हिन्दी खण्ड देखते हैं।
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