Wednesday, July 28, 2004

The farmer who provides food for the mind
Thru India News Online

"In an age when libraries have all but disappeared from even the biggest Indian cities giving way to corner shops lending out the latest film instead, a farmer here works hard to keep the reading habit alive and kicking.

"And Vishwa Pratap Singh of Chaukheri village does it all with his own funds.

"From a few books in 1955, the library started by Singh's grandfather has grown to 5,000 volumes, including rare manuscripts dating back 300 years.

"Think of any remarkable work in Hindi and chances are that you will find it in Singh's library. So whether the reader is looking for novels by doyens of Hindi literature like Bharatendu Harishchandra, Munshi Premchand or Mahadevi Verma or works from contemporary writers like Nirmal Verma and Dharamvir Bharti, it's all here in Singh's treasure trove."
[...]

Sunday, July 25, 2004

"सच्चा लेखक विचारधारा का दास नहीं होता" - निर्मल वर्मा

दैनिक जागरण से प्रख्यात लेखक निर्मल वर्मा का एक साक्षात्कार (सम्भवतः पुराना)

Monday, July 19, 2004

बिना अंग्रेज़ी इंटरनेट के इस्तेमाल पर विचार
(बीबीसी हिंदी से)

"इंटरनेट को उनके लिए फ़ायदेमंद कैसे बनाएँ जो अंग्रेज़ी या किसी पश्चिमी भाषा का इस्तेमाल नहीं करते?

"इंटरनेट युग में ये एक अहम सवाल है जिसपर विचार करने लिए मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में दुनिया के तमाम देशों से आए इंटरनेट के जानकारों की बैठक चल रही है.
[...]
"मलेशिया में ये बैठक ऐसे वक़्त हो रही है जब ये अनुमान व्यक्त किया जा रहा है कि कुछ ही वर्षों के भीतर इंटरनेट इस्तेमाल करनेवालों में सर्वाधिक आबादी एशियाई लोगों की होगी.

"ऐसी सूरत में विशेषज्ञ ये विचार कर रहे हैं कि इंटरनेट के लिए उन भाषाओं या लिपियों के मानक कैसे तय हों.

"साथ ही डॉट कॉम, डॉट ऑर्ग या डॉट नेट की तर्ज़ पर इंटरनेट के कुछ नए पते बनाने पर भी बात होगी."

Friday, July 16, 2004

भारतीय लिपियों के लिए यूनिकोड में प्रस्तावित परिवर्तन

"बहुभाषी साफ़्टवेयर के विकास के लिए यूनीकोड मानकों का अद्योग द्वारा व्यापक प्रयोग किया जा रहा है। यूनीकोड स्टैंडर्ड 3.0 में ISC II-1988 पर आधारित भारतीय लिपियों के लिए मानक कोड सैट शामिल होते हैं (भारतीय लिपि कोड सूचना आदान-प्रदान के लिए ISC II-IS 13194:1991)। भारतीय लिपियों के पर्याप्त निरूपण के लिए यूनीकोड स्टैंडर्ड में कुछ रूपांतरण शामिल किए जाने जरूरी हैं। सूचना प्रौद्योगिकी विभाग संचार एवं सूचना टेक्नालोजी मंत्रालय यूनीकोड संसोरटियम का वोटिंग सदस्य है। सूचना टेक्नालॉजी विभाग ने संबंधित राज्य सरकारों, भारतीय आई टी उद्योग और भाषाविदों के परार्मा से वर्तमान यूनीकोड स्टैंडर्ड में प्रस्तावित परिवर्तनों को अंतिम रूप दिया गया है। इन्हें हाल ही में TDIL न्यूज़लेटर विश्वभारत@tdil अंक 4 (देवनागरी आधारित भाषाएं संस्कृत, हिन्दी, मराठी, नेपाली, कोंकणी, सिन्धी), अंक 5 (गुजराती, मलयालम तेलगू, गुरूमुखी, उड़िया), अंक 6 (बंगला, मनीपुरी और असमी), अंक 7-प्रिंट में (तामिल, कनाडा, उर्दू, सिन्धी, कमीरी)।" [sic]

(भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास (टीडीआईएल) साइट से)

हिंदी की महत्ता के सम्बन्ध में विद्वानों के मत
(नागरीप्रचारिणी सभा से)

Thursday, July 01, 2004

वी.ओ.ए. हिन्दी की पचासवीं वर्षगांठ
Thru VOA

"The Voice of America Hindi Service celebrates its 50th birthday Thursday.

The service began broadcasting in 1954 with 30 minutes of service per day. It has since expanded its daily programming to 90 minutes, and added television reporting, call-in programs and an Internet website.

Hindi programing includes shows on science, health, environment, business, music, women and many other subjects.

The service, which employs more than two dozen reporters and corespondents worldwide, has won more than 100 awards over the years from both within VOA and from outside institutions."

"पहली जुलाई को वी.ओ.ए. हिन्दी प्रसारण के पचास वर्ष पूरे हुए । इस अवसर पर हमारी दोनों सभाओं में विशेष कार्यक्रम सुनियेगा ।

"वी.ओ.ए. हिन्दी का पहला प्रसारण पहली जुलाई 1954 को हुआ था । तब से अब तक हमने बहुत सी मंज़िलें पार की हैं । पग पग पर हमें श्रोताओ का सहयोग मिलता रहा ।

"अपनी पचासवीं वर्षगांठ के अवसर पर हम पूरे वर्ष विशेष कार्यक्रम प्रसारित करते रहेंगे । हमें सुनना जारी रखियेगा ।"