ख़बर है कि जाने-माने अंग्रेज़ी शब्दकोश मेरियम वेब्स्टर के इस साल जोड़े जाने वाले शब्दों की सूची में "Bollywood" भी शामिल है. ऑक्सफ़ोर्ड ने इसे 2003 में ही शामिल कर लिया था. अब एक प्रतिष्ठित अमेरिकी शब्दकोश द्वारा पहचाने जाने के बाद अंग्रेज़ी में इसकी मान्यता को पूर्णता मिल गई है.
हालाँकि मैं व्यक्तिगत रूप से इसके हिंदी फिल्मों के अर्थ में इस्तेमाल से सचेत होकर बचता हूँ, मेरी शिकायत यह नहीं कि शब्द मेरियम वेब्स्टर में आ गया है. देर सवेर आना ही था. शिकायत ये है कि इसके दिए गए मायने इसके संदर्भों की पूरी हक़ीक़त बयान नहीं करते. ग़म इस बात का है कि इसके अर्थ में कहीं भी ये ज़िक्र नहीं है कि कई लोग, विशेषकर ख़ुद उस उद्योग से जुड़े लोग, इसे अपमानजनक (offensive, derogatory) मानते हैं. लोगों की छोड़िये, शब्द की संरचना में ही हीनबोध, पैरोडीकरण, मज़ाक उड़ाता लहजा साफ़-साफ़ देखा जा सकता है. शब्दकोश के संपादकों को ये समझ न आया हो, मुश्किल लगता है. इसीलिये इस विशेषार्थ को शामिल न करने में मुझे अज्ञान से ज़्यादा बेईमानी नज़र आती है.
क्योंकि ऐसा नहीं है कि शब्दकोश में ऐसे शब्द पहले नहीं हैं या विशेषार्थों का ज़िक्र करने की परम्परा नहीं है. मसलन, अंग्रेज़ी शब्द 'निग्गर' को लीजिये. इसकी परिभाषा में उन्होंने स्पष्ट लिखा है कि यह शब्द "सामान्यतः अपमानजनक" ("usually offensive") है. मैं ये नहीं कह रहा कि दोनों शब्द बराबर तौर पर अस्वीकार्य हैं. बेशक निग्गर की अस्वीकार्यता सर्वव्यापी है, जबकि 'बॉलीवुड' तो मीडिया समेत कई जमकर इस्तेमाल करते हैं. पर इसमें भी कोई शक नहीं कि एक बड़ा वर्ग 'बॉलीवुड' शब्द से न केवल बचता है बल्कि उसे अपमानजनक पाता है. खुद इंडस्ट्री में गुलज़ार, ओम, नसीर, अमिताभ से लेकर शिल्पा शेट्टी तक कइयों ने खुले तौर पर शब्द का विरोध ज़ाहिर किया है. इसलिए अगर "usually offensive" नहीं तो कम से कम "sometime offensive" या "offensive to some" जैसे किसी चिह्न के साथ इसे दर्ज करना ज़्यादा सही होता।
'बॉलीवुड' शब्द के बारे में एक सीधी, साफ़, खरी बात हाल ही में नसीर ने कही -
"इससे बड़ी बेहूदगी कोई नहीं हो सकती, कोई आपको अपमानित करने के लिए 'इडियट' कहे और आप उसको अपना नाम बना लें, ऐसी ही बात है बॉलीवुड कहना."वैसे मेरे ख़याल से शब्द बेकार नहीं है. दरअसल हमारे पास एक सिनेमाई श्रेणी (genre) ऐसी है जो बहुत तेज़ी से फल-फूल रही है और जिसके लिए एक शब्द हमें चाहिए भी. "बॉलीवुड" उसके लिए बड़ा युक्तिसंगत शब्द होगा. शब्द की परिभाषा कुछ यूँ होगी - "बम्बई में बनी ऐसी फ़िल्मों की श्रेणी और उससे जुड़ा उद्योग जो हॉलीवुड फ़िल्मों की नक़ल पर आधारित हैं." क्या कहते हैं?
ख़ैर..
इस शब्द की व्युत्पत्ति का श्रेय गीतकार अमित खन्ना लेते हैं और इस अंदाज़ में जैसे उन्होंने कोई बड़ी मुश्किल आसान कर दी हो. पर सच में शब्द की व्यापकता का श्रेय अगर किसी को मिलना चाहिये तो पश्चिमी फ़िल्मी और ग़ैर-फ़िल्मी पत्रकारों को. शब्द हों या व्यक्ति, हमारे देश में सम्मान या व्यापकता पाने का सबसे पुख़्ता तरीका है विदेशी अंग्रेज़ी दुनिया में चर्चित हो जाना. 'बॉलीवुड' शब्द के साथ भी यही हुआ. उपज भले ही यह अमित खन्ना के दिमाग की हो, इसे लोकप्रिय बनाया अंग्रेज़ी (पहले विदेशी और फिर देशी) मीडिया में इसके इस्तेमाल ने. हमारी मीडिया को अपने ख़ुशामदी अन्धेपन में यह नहीं दिखा कि ज़्यादातर पश्चिमी पत्रकार इसका इस्तेमाल एक 'गाने-बजाने-नाचने से ज़्यादा कुछ न जानने वाले सिनेमा' के लिए उपहासात्मक संदर्भों में करते रहे हैं.
भारतीय मीडिया की समझ से दो शब्द गायब होते जा रहे हैं - एक तो 'शर्म' और दूसरा 'तर्क' (logic). न ख़ुद को 'बॉलीवुड' कहने में उन्हें शर्म आती है और न ही उनकी समझ में ये घुसता है कि 9/11 की तर्ज पर हमारे यहाँ 11 जुलाई को '7/11' नहीं बनाया जा सकता. पर जब ख़ुद हम उपभोक्ताओं को ही फ़र्क नहीं पड़ता तो उन्हें क्यों पड़ने लगा. हमें ऐसी चीज़ों पर सोचने की फ़ुर्सत नहीं रही है. हमने अपने लिए सोचने का ठेका आजकल मीडिया को दे दिया है. वो अगर कहें बॉलीवुड तो बॉलीवुड. बस देखना ये है कि कब हम अपनी संसद को "कैपिटोल" (Capitol) कहना शुरु करते हैं और गाँधी को "घांडी" (Ghandi).
5 comments:
While I agree that both 'logic' and 'shame' is becoming extinct in media, I wonder as to how 'Indian' is Indian Corporate Media?
Gopal Krishna
mediavigil.blogspot.com
आपने अच्छा लिखा है लेकिन एक बात का उल्लेख नहीं है वो है कि कैसे बोलिवुड का ये नाम पड़ा .दरअसल इसके पीछे एक चलन है ,जिस जगह पर सम्बंधित फिल्म उद्योग होता है उस स्थान के पहले अक्षर को लेकर 'लीवुड ' शब्द जोड़ दिया जता है.जैसे उदाहरण के तौर पर बोम्बे का B लेकर बॉलीवुड,पाकिस्तान के लाहौर का लॉलीवुड ,कर्नाटक का कॉलीवुड.यही नहीं इंडोनेशिया जैसे अन्य देशों में भी कुछ ऐसा ही चलन है.बेशक यह बेहूदा तो है ही .यह सम्बंधित फिल्म उद्योगों की मौलिकता का मजाक ही तो है .हालांकि कि मौलिकता कितनी है इस पर भी विचार होना चाहिऐ
हम भी इस बात से सहमत हैं । पिछले दिनों नवभारत टाईम्स में शायद नसीर के हवाले से इसी आशय का एक संपादकीय छपा था । जिसमें लिखा गया था कि आखिर किस मानसिकता के तहत हम कालिदास को पूरब का शेक्सपियर कहते हैं । ऐसा क्यों है कि शेक्सपियर को पश्चिम का कालिदास नहीं कहा जाता । हॉलीवुड की तर्ज़ पर बॉलीवुड नाम देना नितांत ग़लत है और इसका तो विरोध होना ही चाहिये । आज भारत संसार में सबसे ज्यादा फिल्में बना रहा है, ये अलग बात है कि उनमें ज्यादातर ऊल जलूल होती हैं, ठीक ठिकाने की फिल्में या फिल्मकार हमारे पास ज्यादा नहीं, पर इतने बड़े फिल्म उद्योग को हॉलीवुड की तर्ज पर बॉलीवुड कहे जाने की कोई मजबूरी नहीं है । आपने इस मुद्दे को उठाकर अच्छा किया ।
ठाकुर को टैगोर कब से कहा जा रहा है.. लोग तो अब भूलने भी लगे हैं कि टैगोर कुछ नहीं ठाकुर का ही गलत उच्चारण है.. लेकिन क्या करेंगे आप उस देश में हैं जहाँ के वकील जून की गर्मी में काला कोट पहन के घूमते हैं और जज सफ़ेद विग पहन के खुद को लॉर्ड कहलवाता है.. प्रमोद जी के शब्द में कहूँ तो..हद है..
आपका blog अच्छा है
मे भी ऐसा blog शुरू करना चाहता हू
आप कोंसी software उपयोग किया
मुजको www.quillpad.in/hindi अच्छा लगा
आप english मे करेगा तो hindi मे लिपि आएगी
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