Friday, June 15, 2007

1 किलो माने?

क्या आपने कभी सोचा है कि एक किलोग्राम दरसल कितना भारी होता है? कौन बताता है कि इसका ठीक-ठीक वजन क्या है? क्या आपके परचूनी वाले या सब्जी वाले के बाट ठीक एक किलो हैं? हैं या नहीं ये कैसे पता होता है? नहीं सोचा? तो सोचिये. और सोचने की फ़ुर्सत न हो तो आगे पढ़िये.

किलोग्राम एक ऐसा माप है जो किसी भौतिक स्थिरांक पर आधारित नहीं है. बल्कि उसका मानदंड पैरिस के एक वॉल्ट में रखा एक सिलिंडर है. किलोग्राम की परिभाषा के लिए क़रीब 100 साल पहले प्लैटिनम और इरीडियम के मिश्रण से एक सिलिंडर बनाया गया और घोषित किया गया कि "एक किलोग्राम का ठीक मान इस विशिष्ट सिलिंडर का द्रव्यमान है". यानि,

1 मीटर = प्रकाश द्वारा संपूर्ण निर्वात में 1/29,97,92,458 सेकंड में तय की गई दूरी
1 सेकंड = एक निश्चित भौतिक प्रतिक्रिया के 9,19,26,31,770 अन्तराल
पर,
1 किलोग्राम = पैरिस के एक वॉल्ट में रखा सिलिंडर

समझ रहे हैं मुश्किल? क्या हो अगर वो सिलिंडर किसी वजह से खत्म हो जाए? हमारे पास सिर्फ़ उसके अलग-अलग दुनिया भर में फैले प्रतिमान बाक़ी रहेंगे, जो कि समय या वातावरण की मार या कॉपी की ग़लतियों की वजह से अलग-अलग हो सकते हैं. फिर किसका किलो सही और किसका ग़लत माना जाएगा?

ऑस्ट्रेलिया के एक दल ने इस समस्या का हल किया है एक नया प्रोटोटाइप सोचकर जो एक भौतिक स्थिरांक पर आधारित होगा. वे किलोग्राम का निर्धारण इस बात से करेंगे कि एक किलोग्राम में कितने सिलिकॉन अणु होते हैं. इसके बाद किलोग्राम भी मीटर और सेकंड जैसे अन्य मापकों की तरह भौतिक स्थिरांकों के आधार पर परिभाषित हो जाएगा.

[श्लैशडॉट के जरिये]

5 comments:

VIMAL VERMA said...

इस जानकारी के लिये आपको धन्यवाद.वाकई इस मुद्दे पर किसी के विचार पढे हैं फिर से आपको शुक्रिया.

ePandit said...

रुचिकर जानकारी!

Udan Tashtari said...

रोचक एवं ज्ञानवर्धक. आभार.

Yunus Khan said...

बहुत अच्‍छे भाईसाहब । आपको पता है अभी तक हमारे लिए एक किलो हमारे सब्‍ज़ी वाले का वो पत्‍थर है जो समय समय पर बदल जाता है । एक किलो के कई रूप हमने भारत के बाज़ारों में देखे हैं । जिनका बनावट अकसर पत्‍थर की हुआ करती है । जांचने चलें तो हमारे देश में एक किलो का शुद्ध बांट मिलना नामुकिन सा लगता है । सही कहा ना । चलो अच्‍छा हुआ हमारा (वि) ज्ञान आपने बढ़ा दिया ।

उन्मुक्त said...

स्कूल में सवाल पूछा जाता था कि एक किलो लोहा भारी है कि एक किलो रुई। इस सवाल का जवाब उतना सरल नही जितना लोग समझते हैं। यह तो वही बता पाता था जिसे आर्कमडीस का सिद्धान्त अच्छी तरह से समझ आता हो।