Monday, August 27, 2007

हिंदी में कंप्यूटर होने के लाभ

...यंत्र के स्तर पर (हिंदी) की ज़रूरत क्या है? यंत्र को हिंदी मालूम होने से प्रयोक्ता को कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। उसे केवल अपनी मातृभाषा में कंप्यूटर का आवरण चाहिए। यहाँ यूरोप में हमारी कई भाषाएँ हैं। और मेरे देश, फ़िनलैंड में, कई भाषाएँ बोली जाती हैं, लेकिन फ़िनी सबसे आम है, और उसके बाद स्वीडिश है। सभी कंप्यूटर विंडोज़ के फ़िनी या स्वीडिश अनुवाद सहित ही मिलते हैं। अधिकतर लोग अपनी मातृभाषा में ही सभी प्रोग्राम खरीदते हैं।

यह बहुत आसान होता है, छोटे बच्चों के लिए भी। उन्हें कोई विदेशी भाषा नहीं सीखनी पड़ती, न ही अजीबोगरीब अंग्रेज़ी वर्तनी सीखनी पड़ती है। बल्कि तार्किक फ़िनी वर्तनी पहले सीख लेने के बाद बच्चों को अंग्रेज़ी की बेहूदा वर्तनी सीखना ही बहुत मुश्किल होता है। हिंदी की तरह ही फ़िनी में भी उच्चारण आधारित वर्तनी होती है, हालाँकि हम रोमन लिपि का प्रयोग करते हैं। अगर सब कुछ अपनी मातृभाषा में हो तो अंतरापृष्ठ में विकल्पों, जमावों, और फ़ाइलों को देखना बहुत आसान हो जाता है। खासतौर पर जब शब्द संसाधक और वर्तनी जाँच भी अपनी भाषा में हो तो और भी।

कुंजीपटल का जमाव दोनों के लिए एक सा ही है क्योंकि फ़िनी व स्वीडिश दोनों एक ही तरह के अक्षर व जमाव का इस्तेमाल करते हैं। अंग्रेज़ी वाले भी उसी जमाव का इस्तेमाल कर सकते हैं, हालाँकि कुछ अक्षर अलग जगह होते हैं। रूसी भाषी सिरिलिक कुंजीपटल खरीदते हैं, जिनमें रोमन अक्षर भी होते हैं, या फिर फ़िनी कुंजीपटल पर सिरिलिक की चिप्पियों का इस्तेमाल करते हैं।

...

मुझे समझ नहीं आ रहा कि हिंदी के पीसी बेचने का इतना विरोध क्यों हो रहा है। मुझे लगता है कि इसका स्वागत होना चाहिए। प्रणालियों को मुक्त, एक दूसरे के साथ सामंजस्य युक्त व पेटेंट मुक्त होना चाहिए।

कुंजीपटल के बारे में, मुझे कुंजीपटल के पेटेंट के बारे में पता नहीं था। हो सकता है कि वे पेटेंट कर रहे हों, पर उससे क्या? इंस्क्रिप्ट व रोमन जमाव तो उपलब्ध हैं ही, तो भारतीय भाषाओं के संगणन में एक और अमानक चीज़ लाने का क्या लाभ?

- औस्सि विल्यकैनेन, पूरा सूत्र, इंडलिनक्स-हिंदी की डाक सूची के पुरालेखों से। ऑसी जी संस्कृत में दिलचस्पी रखते हैं, और कंप्यूटर पर संस्कृत में काफ़ी काम करते हैं। ये टिप्पणियाँ उन्होंने कालिबोंका के हिंदी पीसी पर छिड़ी चर्चा के दौरान की थीं।

अगर आपको उपरोक्त टिप्पणी दिलचस्प लगी तो माइक्रोसॉफ़्ट का विंडोज़ एक्सपी का हिंदी अंतरापृष्ठ पैक, व हिंदी में लिनक्स भी दिलचस्प लगेंगे।

Thursday, August 23, 2007

गुरू न जाने आशीर्वाद

क़रीब साल भर पहले मैंने लिखाई में दिखने वाली 10 आम ग़लतियों की सूची पोस्ट की थी. इसमें 5वें क्रम पर थी ये ग़लती -

५. रेफ को एक अक्षर पहले लगाना
गलत - मेरा आर्शीवाद तुम्हारे साथ है।
ठीक - मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।

एक ताज़ा ख़बर पढ़कर ध्यान आया कि उज्ज्वल भी ऐसा ही एक अक्सर ग़लत लिखे जाने वाला शब्द है. और लगता है लखनऊ संभाग प्राथमिक शिक्षा के अतिरिक्त निदेशक आर पी शर्मा जी भी इस बात को जानते थे. बड़ी ख़ूबी से उन्होंने एक अचानक दौरे पर शिक्षकों को जाँचने के लिए इन दोनों शब्दों का इस्तेमाल किया.

उज्ज्वल को अपनी सूची में शामिल करने के लिए क्रमांक 5 को यूँ संशोधित कर सकता हूँ.

५. रेफ और अर्धाक्षरों वाले हिज्जों में ग़लती
गलत - जब तक मेरा आर्शीवाद तुम्हारे साथ है, तुम्हारा भविष्य उज्जवल है।
ठीक - जब तक मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है, तुम्हारा भविष्य उज्ज्वल है।

बहरहाल, शर्मा जी की बात में वजन है कि अगर पढ़ाने वालों के बुनियादी फण्डे ही कमज़ोर होंगे तो शिक्षा में गुणवत्ता की बात करना बेकार है. पर काश उन्हें इस "सरप्राइज़ इंस्पेक्शन" का ख़याल मायावती की डाँट के बगैर ही आ जाता. गुरुओं के "आर्शीवाद" से हमारे छात्रों के भविष्य को "उज्जवल" हुए तो अर्सा हो गया.