वेब पर हिंदी सामग्री अब उस अवस्था में पहुँच गई है जिसे अंग्रेज़ी में 'क्रिटिकल मास' कहा जाता है. और पिछले कुछ महीने इसमें बहुत मददगार रहे हैं (यूँ वेब पर महीने सालों के बराबर होते हैं). इस अर्से में हिंदी में उपलब्ध साइटों, सुविधाओं, और जानकारी में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है. कुछ मुख्य उदाहरण देखें, जिनमें से कई तो पिछले महीने में ही जारी हुए हैं:
- भारत सरकार की साइटें
- याहू हिंदी
- गूगल समाचार
- ब्लॉगर का हिंदी लिप्यंतरण उपकरण
- गूगल डॉक्स में हिंदी वर्तनी जाँचक
- गूगल ऐडवर्ड्स
- गुरूजी - सर्च इंजन (खोजक)
- और ढेरों नए ब्लॉग (सूची - नारद, हिंदीब्लॉग्स)
यानि वह समय आ गया है जब हिंदी सामग्री बुकमार्कों से उफन कर बाहर निकल रही है और सर्च इंजनों की दरकार महसूस होने लगी है. कंटेंट निर्माण के साथ साथ विकेंद्रीकरण भी बढ़ रहा है जो कि न केवल विविधता के लिए अच्छा है बल्कि इंटरनेट के मूल चरित्र के पास भी है, और इसीलिए अवश्यंभावी भी. अच्छे खोजक इस चरित्र को विकसित करने में काफ़ी सहायक होते हैं.
यूनिकोड अब वेब पर हिंदी सामग्री के लिए वैसा ही मानक बन चुका है जैसा अंग्रेज़ी के लिए ASCII है. लगभग सभी नई साइटें इसी कूटकरण में बन रही हैं. पुरानी साइटों को इसमें बदला जा रहा है (मसलन एनआइसी की बनाई साइटें और अभिव्यक्ति-अनुभूति). और जो साइटें अपने स्वामित्वधारी फ़ॉण्ट इस्तेमाल कर रही हैं (उदा. दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर), वे भी अब बड़ी आसानी से ऑन-द-फ़्लाई (हाथों-हाथ) यूनिकोड में बदली जा सकती हैं. सर्च इंजन भी इन्हें खोज पा रहे हैं. कुल मिलाकर अब इस सिलसिले में मानक कोई बाधा नहीं रहा है.
इस अवस्था के बाद खोजकों का योगदान महत्वपूर्ण हो जाता है. ये हिंदी के प्रयोक्ता के लिए तो जीवन आसान बनाएँगे ही, इनके जरिये अपनी सामग्री तक आसान पहुँच व्यापारों, संस्थाओं, और संगठनों को भी हिंदी में साइटें बनाने के लिए प्रेरित करेंगी. जहाँ प्रयोक्ता और प्रस्तोता दोनों एक दूसरे को संपुष्ट करेंगे, खोजकों की भूमिका एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक की होगी. और इसीलिये अच्छे हिंदी खोजकों की ज़रूरत बहुत बढ़ जाती है.
गूगल ने अपनी हिंदी खोज में हाल में सुधार किए हैं और नया इंजन गुरूजी भी बड़ी जल्दी लोकप्रिय हो रहा है. इसके अलावा इस क्षेत्र में शुरुआती कदम उठाने वाला रफ़्तार भी लगातार दौड़ में है. ये सभी बहुत अच्छे प्रयास हैं. और हालाँकि हिंदी सर्च की एल्गॉरिद्म को अभी काफ़ी आगे जाना है, वेब पर कहीं भी उड़ने और गुम न होने की आज़ादी अब हिंदी टेक्स्ट के पास है. तो कमर कस लीजिए, यहाँ से सफ़र तेज़ होने वाला है.
4 comments:
अच्छा है। गुरूजी साइट को पहली बार देखा। अच्छा लगा!
हम सब खुश हैं लेकिन 'ये दिल मांगे मोर'!
अच्छा आकलन किया है आपने ये वर्ष तो "इंटरनेट पर हिन्दी वर्ष" घोषित होना चाहिए।
अब रफ़्तार में लगातार "क्रिकेट विश्व कप 2007" के लाइव स्कोर भी देख सकते हैं।
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