'मैं किसी को हराने नहीं आया हूँ':
मनोज बाजपेयी (फ़िल्म अभिनेता)
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मुझे यह भी लगता है कि हिंदी फिल्मों में हिंदी जाति का स्वर नहीं सुनाई पड़ता. हिंदी प्रदेशों के लोगों की सामूहिक आकाँक्षा हिंदी फ़िल्मों में ही नहीं आ पा रही है.
सब कुछ इतना सिंथैटिक, नकली, वायवीय और पश्चिमोन्मुख हो गया है कि हिंदी फ़िल्में हिंदी दर्शकों को संतुष्ट नहीं कर पा रही हैं.
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Monday, April 26, 2004
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v9y
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6:05 pm
2004-04-26T18:05:00-04:00
v9y
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