Friday, May 25, 2007

सीने में जलन..

23 मई 2007 - जब मानव इतिहास में पहली बार दुनिया की शहरी आबादी ग्रामीण आबादी से ज़्यादा हो गई.

हाल-ए-हिंदुस्तान

  • 1991 में शहरों में बसने वाली जनसंख्या - लगभग 26%
  • 2001 में - लगभग 28%
  • ...
  • 2026 में (अनुमानित) - लगभग 33% (पीडीएफ़ कड़ी)
  • देश के 25% ग़रीब शहरों में रहते हैं.
  • 31% शहरी ग़रीब हैं.

Tuesday, May 22, 2007

2008 - भाषाओं का वर्ष

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2008 को "भाषाओं का अंतरराष्ट्रीय वर्ष" घोषित किया है.

The General Assembly this afternoon, recognizing that genuine multilingualism promotes unity in diversity and international understanding, proclaimed 2008 the International Year of Languages.

Acting without a vote, the Assembly, also recognizing that the United Nations pursues multilingualism as a means of promoting, protecting and preserving diversity of languages and cultures globally, emphasized the paramount importance of the equality of the Organization’s six official languages (Arabic, Chinese, English, French, Russian and Spanish).

हालाँकि कुछ जानकारों के अनुसार घोषणापत्र के विस्तृत मसौदे में ज़्यादा ज़ोर संयुक्त राष्ट्र की 6 भाषाओं पर बराबरी का महत्व देने पर है. भाषाई विविधता को प्रोत्साहित करने और मृतप्राय भाषाओं के संरक्षण पर ध्यान कम है.

उम्मीद है इस भाषा-वर्ष में क़रीब आधे अरब लोगों की भाषा हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने के प्रयास में भी प्रगति होगी.

जाते-जाते एक जानकारी - क्या आपको पता है कि 21 फरवरी "अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस" है? तो अगले साल से क्यों न इस दिन ज़्यादा से ज़्यादा अपनी मातृभाषा(ओं) में बोलने, पढ़ने, और लिखने की कोशिश की जाए.

Wednesday, May 09, 2007

आज तक का सबसे बड़ा भाषाई सर्वेक्षण

भारतीय भाषाओं का पहला सर्वेक्षण 1898 में जॉर्ज ग्रियर्सन के नेतृत्व में शुरू हुआ था और 1927 में सम्पन्न हुआ. 29 साल लम्बे चले इस प्रयास में तत्कालीन भारत में बोली जाने वाली करीब 800 भाषाओं/बोलियों पर विस्तृत सर्वेक्षण किया गया था. भारतीय भाषाओं और बोलियों के बारे में हमारा ज्ञान काफ़ी हद तक उस सर्वेक्षण और उस पर बाद में किए गए ढेरों शोध प्रबंधों पर आधारित है.

ख़ुशी की बात है कि उस पहले सर्वेक्षण के लगभग 80 सालों बाद अगला और स्वतंत्र भारत का पहला भाषाई सर्वेक्षण इस महीने शुरू होने जा रहा है. यह न्यू लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ़ इंडिया (NLSI) एक महा-अभियान है जो करीब 10 सालों तक चलेगा. 280 करोड़ रुपयों के बजट वाली इस परियोजना में लगभग 100 विश्वविद्यालय, कई संस्थाएँ, और कम से कम 10000 भाषाविद और भाषा-विशेषज्ञ योगदान देंगे. निर्देशन का काम भारतीय भाषा संस्थान के जिम्मे है.

यह सर्वेक्षण पूरी दुनिया में आज तक का सबसे बड़ा राष्ट्रीय भाषाई सर्वेक्षण है. इस परियोजना में भारत में बोली जाने वाली हर भाषा व बोली का वर्णन होगा. इसके अलावा शब्दकोश, व्याकरण रूपरेखाएँ, दृष्य-श्रव्य मीडिया, और भाषाई नक्शे भी तैयार किए जाएँगे, जिन्हें बाद में वेब पर भी उपलब्ध कराया जाएगा.

ग्रियर्सन का पहला भारतीय भाषा सर्वेक्षण एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी. पर उसमें कई कमियाँ और ख़ामियाँ रह गईं थीं, जिनमें तत्कालीन मद्रास, हैदराबाद, और मैसूर राज्यों को शामिल नहीं किया जाना और सर्वेक्षकों का पर्याप्त शिक्षित नहीं होना (ख़ासकर भाषाविज्ञान के क्षेत्र में - इस काम में अधिकतर पोस्टमैनों और पटवारियों की मदद ली गई थी) मुख्य थीं. पर तमाम ख़ामियों के बावजूद यह हमारे लिए अपनी भाषाओं को जानने का एकमात्र और सबसे महत्वपूर्ण प्रामाणिक दस्तावेज़ है.

नया भारतीय भाषाई सर्वेक्षण उन कमियों से सीखकर आधुनिक भारत की बोलियों से हमें परिचित करवाएगा, ऐसा विश्वास है. आगे आने वाली कई पीढ़ियों के लिए तो सन्दर्भ ग्रन्थ होगा ही. इस महा-अभियान के लिए शुभकामनाएँ.