Tuesday, July 25, 2006

अन्धा क़ानून - नई डाक सूची

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Saturday, July 08, 2006

लिखाई में प्रचलित १० ग़लतियाँ..

..जिनके प्रयोग से आप बेवकूफ़ दिखते हैं
(जोडी गिल्बर्ट के अँगरेज़ी लेख से प्रेरित)

पहले बता दूँ कि यहाँ मैं टाइप में भूल से हो जाने वाली अशुद्धियों (जिन्हें अंग्रेज़ी में 'टाइपो' कहते हैं) की बात नहीं कर रहा हूँ। ऐसी गलतियाँ तो सबसे होती हैं (हालाँकि इनका ध्यान रखना भी बहुत ज़रूरी है)। पर जब ये गलतियाँ अज्ञान के कारण होती लगती हैं, तो पाठक की नज़रों में आपका "भोंदू स्कोर" बढ़ने लगता है। और आपकी व आपकी बात की विश्वसनीयता उसी अनुपात में घटने लगती है। ये रहीं दस ऐसी व्याकरण या वर्तनी की गलतियाँ।

१. जहाँ नुक़्ता नहीं लगता, वहाँ नुक़्ते का प्रयोग

गलत - क़िताब, फ़ल, सफ़ल, फ़िर, ज़ंज़ीर, शिक़वा, अग़र
ठीक - किताब, फल, सफल, फिर, ज़ंजीर, शिकवा, अगर

२. बिंदु (अनुस्वार) की जगह चन्द्रबिंदु (अनुनासिक)

गलत - पँडित, शँकर, नँबर, मँदिर
ठीक - पंडित (या पण्डित), शंकर, नंबर (या नम्बर), मंदिर (या मन्दिर)

३. है की जगह हैं

गलत - रहना हैं तेरे दिल में
ठीक - रहना है तेरे दिल में

४. में और नहीं की बिंदी गोल कर जाना

गलत - जो बात तुझमे है तेरी तस्वीर मे नही
ठीक - जो बात तुझमें है तेरी तस्वीर में नहीं

५. रेफ को एक अक्षर पहले लगाना

गलत - मेरा आर्शीवाद तुम्हारे साथ है।
ठीक - मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।

६. सौभाग्याकांक्षिणी की जगह सौ.कां.

गलत - सौ.कां. सुशीला के विवाह में अवश्य पधारें।
ठीक - सौभाग्याकांक्षिणी (या, सौ.) सुशीला के विवाह में अवश्य पधारें।

७. की जगह , या की जगह

गलत - पडोस, पढाई, हडताल
ठीक - पड़ोस, पढ़ाई, हड़ताल

८. अपने की जगह मेरे/तुम्हारे/उसके का प्रयोग

गलत - मैं मेरे घर जा रहा हूँ, तुम तुम्हारे घर जाओ।
ठीक - मैं अपने घर जा रहा हूँ, तुम अपने घर जाओ।

९. कि की जगह की, या उल्टा

गलत - क्योंकी शतरंज कि बाज़ी में ध्यान बँटा की हारे।
ठीक - क्योंकि शतरंज की बाज़ी में ध्यान बँटा कि हारे।

१०. बहुवचन संबोधन में अनुनासिक

गलत - आओ बच्चों! तुम्हें दिखाएँ..
ठीक - आओ बच्चो! तुम्हें दिखाएँ..

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