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Tuesday, July 01, 2008

वयस्क साक्षरता स्कोर - चीन 93, भारत 66

UNESCO ने मई 2008 में विश्व साक्षरता के नए आँकड़े प्रकाशित किए.

किन्हीं फ़्रेडरिक हूबलर ने अपने ब्लॉग पर इन आँकड़ो को दुनिया के नक्शे पर लगाकर दिखाया है. उनके विश्लेषण के अनुसार जिन 145 देशों के लिए आँकड़े उपलब्ध हैं उनमें वयस्क साक्षरता दर का माध्य 81.2% है. वयस्क साक्षरता दर यानी 15 साल या उससे बड़े लोगों की साक्षरता का प्रतिशत. 90% से ऊपर की दर वाले 71 देशों में से अधिकतर योरप, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया, और दक्षिण अमेरिका में हैं. जिन देशों का डाटा उपलब्ध नहीं है वहाँ भी दर 90% से अच्छी ही होने की अपेक्षा है क्योंकि उनमें से अधिकतर विकसित देश हैं. पिछड़े देशों में से लगभग सभी या तो अफ़्रीका में है या दक्षिण एशिया में.

सबसे बड़े दो देश चीन और भारत अलग-अलग तस्वीर पेश करते हैं. चीन में जहाँ 93.3% लोग पढ़-लिख सकते हैं, भारत में केवल 66%.

आँकड़े ख़ुद अपनी कहानी कहते हैं. पर इन्हें अलग नज़रियों से देखना अक्सर दिलचस्प नतीजे दे जाता है. ऊपर का विश्लेषण समस्या के भौगोलिक वर्गीकरण पर केंद्रित है. अब अगर इन्हीं आँकड़ों को भाषाई नज़रिये से देखा जाए तो देखिये क्या तस्वीर सामने आती है.

ये रहे शीर्ष 15 देश, उनका साक्षरता प्रतिशत, और उनकी आधिकारिक भाषाएँ:

एस्टोनिया - 99.8 - एस्टोनियन, वोरो
लातविया - 99.8 - लातवियन, लातगेलियन
क्यूबा - 99.8 - स्पैनिश
बेलारूस - 99.7 - बेलारूसी, रूसी
लिथुआनिया - 99.7 - लिथुआनियन
स्लोवेनिया - 99.7 - स्लोवेनियन
उक्रेन - 99.7 - उक्रेनी
कज़ाख़िस्तान - 99.6 - कज़ाख़
ताजिकिस्तान - 99.6 - ताजिक
रूस - 99.5 - रूसी
आर्मेनिया - 99.5 - आर्मेनियन
तुर्कमेनिस्तान - 99.5 - तुर्कमेन
अज़रबैजान - 99.4 - अज़रबैजानियन
पोलैंड - 99.3 - पोलिश
किरगिज़स्तान - 99.3 - किरगिज़

और अब देखिये साक्षरता दर में नीचे के 20 देश (भारत भी इनमें शामिल है):

भारत - 66 - अंग्रेज़ी, हिंदी
घाना - 65 - अंग्रेज़ी और स्थानीय भाषाएँ
गिनी बिसाउ - 64.6 - पुर्तगाली
हैती - 62.1 - फ्रांसीसी, हैती क्रिओल
यमन - 58.9 - अरबी
पापुआ न्यू गिनी - 57.8 - अंग्रेज़ी व 2 अन्य
नेपाल - 56.5 - नेपाली
मारिशियाना - 55.8 - फ्रांसीसी
मोरक्को - 55.6 - फ्रांसीसी, अरबी
भूटान - 55.6 - अंग्रेज़ी, जोंग्खा
लाइबेरिया - 55.5 - अंग्रेज़ी
पाकिस्तान - 54.9 - अंग्रेज़ी
बांग्लादेश - 53.5 - बांग्ला
मोज़ाम्बीक़ - 44.4 - पुर्तगाली
सेनेगल - 42.6 - फ्रांसीसी
बेनिन - 40.5 - फ्रांसीसी
सिएरा लियोन - 38.1 - अंग्रेज़ी
नाइजर - 30.4 - अंग्रेज़ी
बरकीना फ़ासो - 28.7 - फ्रांसीसी
माली - 23.3 - फ्रांसीसी

आपको कुछ कहते हैं ये आँकड़े?

क्या इनमें यह नहीं दिखता कि निचले अधिकतर देशों में आधिकारिक या शासन की भाषा आम लोगों द्वारा बोले जानी वाली भाषा से अलग (अक्सर औपनिवेशिक) है, जबकि सर्वाधिक साक्षर देशों में शिक्षा का माध्यम और शासन की भाषा वही है जो वहाँ के अधिकतर लोग बोलते हैं?

मैं ये नहीं कहता कि सिर्फ़ यही एक कारण होगा या इतना भी कि यही सबसे महत्वपूर्ण कारण है. ऐसा मानना एक गूढ़ समस्या का अतिसरलीकरण होगा. ऐसे कुर्सीविराजित-विश्लेषण (आर्मचेयर एनैलिसिस) में मेरा विश्वास भी नहीं है. पर क्या ये नज़रिया इतना वजनी भी नहीं है कि इस दिशा में कम से कम गंभीरता से सोचा जाए?

Thursday, March 29, 2007

तकनीक लोगों के लिए

वर्ल्ड इकोनॉमिक फ़ोरम ने 2006-07 के लिए वैश्विक सूचना तकनीक रिपोर्ट जारी कर दी है. यह रिपोर्ट विश्व के 122 देशों के लिए 'नेटवर्क तैयारी सूचकांक' (NRI) बताती है जो कि 3 घटक सूचकांकों से बना है -
1) देश या समाज द्वारा उपलब्ध कराया गया 'सूचना और संवाद तकनीक' (ICT) का माहौल
2) समाज के प्रमुख हिस्सेदारों की तैयारी (जनता, व्यापार, सरकार)
3) इन हिस्सेदारों में सूचना और संवाद तकनीक का प्रयोग

तो ख़बर यह है कि अमेरिका तकनीकी सिरमौर नहीं रहा. बल्कि आस-पास भी नहीं. पिछले साल के पहले से अब वह सीधे 7वें स्थान पर आ गया है. और अपने आप को आइटी महाशक्ति समझने वाला भारत 44वें स्थान पर है, पिछले साल से 4 स्थान नीचे.

यह रहे शीर्ष 10 देश, ख़ासकर उनके लिए जो कहते हैं अँग्रेज़ी में शिक्षा के बिना तकनीकी तरक्की संभव नहीं.

1. डेनमार्क
2. स्वीडन
3. सिंगापुर
4. फ़िनलैंड
5. स्विटज़रलैंड
6. नीदरलैंड्स
7. अमेरिका
8. आइसलैंड
9. यूके
10. नॉर्वे

भाषा के संदर्भ में ये आँकड़े अगर कुछ बताते हैं तो यह कि तकनीक को हर एक तक पहुँचाने के लिए तकनीक का स्थानीयकरण ज़रूरी है. हमारे यहाँ नीति उल्टी तरफ़ से चल रही दिखती है. हम लोगों का विदेशीकरण करने में लगे हैं.