जैसे चींटियाँ लौटती हैं बिलों में / कठफोड़वा लौटता है काठ के पास /
ओ मेरी भाषा! मैं लौटता हूँ तुम में
जब चुप रहते-रहते अकड़ जाती है मेरी जीभ / दुखने लगती है मेरी आत्मा
-केदारनाथ सिंह
Friday, March 17, 2006
हिन्दी की खबरों की फ़ीड
ग्रॅब्लाइन - hindi.grabline.com - हिन्दी की खबरों की फ़ीडों का सङ्कलन। अफ़सोस कि बीबीसी के अलावा कोई और अखबार फ़ीड देता नहीं है, वरना यह खबरों का अच्छा खासा भण्डार होता।
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