आधुनिक हिंदी साहित्य के मेरे सबसे पसन्दीदा लेखक मनोहर श्याम जोशी नहीं रहे। कमलेश्वर के शब्दों में 'यह हिंदी जगत के लिए एक हादसा है'। क्षति इसलिये भी परम दुखदायी है कि वे कई कृतियों पर कार्य कर रहे थे और पूरी तरह सक्रिय थे।
२००५ के साहित्य अकादमी पुरस्कार की प्राप्ति के अवसर पर उन पर लिखा एक परिचयात्मक लेख
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