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जैसे चींटियाँ लौटती हैं बिलों में / कठफोड़वा लौटता है काठ के पास / ओ मेरी भाषा! मैं लौटता हूँ तुम में
जब चुप रहते-रहते अकड़ जाती है मेरी जीभ / दुखने लगती है मेरी आत्मा
-केदारनाथ सिंह

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Thursday, August 23, 2007

गुरू न जाने आशीर्वाद

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क़रीब साल भर पहले मैंने लिखाई में दिखने वाली 10 आम ग़लतियों की सूची पोस्ट की थी. इसमें 5वें क्रम पर थी ये ग़लती - ५. रेफ को एक अक्षर पहले ल...
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