tag:blogger.com,1999:blog-3870714.post5714994627002117251..comments2024-03-13T07:37:42.016-04:00Comments on हिन्दी: आग को हवा और ट्रॉल को भाव कभी मत दोv9yhttp://www.blogger.com/profile/07973018577021600722noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-53646214191748111492007-05-24T15:33:00.000-04:002007-05-24T15:33:00.000-04:00ज्योति,कुछ तुरत-फुरत के उपाय तो ये रहे - http://ww...ज्योति,<BR/><BR/>कुछ तुरत-फुरत के उपाय तो ये रहे - <BR/>http://www.giitaayan.com/x.htm<BR/>http://kaulonline.com/uninagari/index.htm<BR/>http://quillpad.com/Hindi<BR/><BR/>बाक़ी अपने कम्प्यूटर को हिंदी टाइपिंग के लिए तैयार करने के लिए यहाँ देखें - <BR/>http://en.wikipedia.org/wiki/Wikipedia:Enabling_complex_text_support_for_Indic_scriptsv9yhttps://www.blogger.com/profile/07973018577021600722noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-18377516968845232052007-05-24T14:02:00.000-04:002007-05-24T14:02:00.000-04:00koi mare ko ye batayega ki main hindi main comment...koi mare ko ye batayega ki main hindi main comment kaise karu?guru4gyanhttps://www.blogger.com/profile/01651990036677543501noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-52764824405866706942007-04-21T11:09:00.000-04:002007-04-21T11:09:00.000-04:00एकदम सही कहा मैं तो बहुत पहले से यही काम कर रहा हू...एकदम सही कहा मैं तो बहुत पहले से यही काम कर रहा हूँ।<BR/><BR/><I>"तीसरा ये कि ब्लॉगों से ब्लॉग संकलक (नारद, हिंदीब्लॉग्स, या टेक्नोरैटी) हैं, उनसे ब्लॉग नहीं. अगर कोई ब्लॉग किसी संकलक मसलन नारद से हटाया जाता है तो उससे नारद की उपयोगिता ही कम होती है."</I><BR/><BR/>मैं इससे सहमत नहीं आप इसे वक्ती मामला समझिए लेकिन आज की तारीख में नारद के सहारे के बिना किसी ब्लॉग का चलना मुश्किल है। नारद के बिना मैंने कई ब्लॉग दम तोड़ते देखे हैं। आज से कुछ समय बाद भले ही यह तस्वीर बदले पर आज का सच यही है।<BR/><BR/>आपको याद होगा एक महाशय आए थे खूब फूं-फां करते हुए कि भईया हटा लो नारद से मेरा ब्लॉग मुझे इसकी कोई जरुरत नहीं, नारद से हटते ही ४ पोस्टों के बाद उनका ब्लॉग ठप पड़ गया। इसी तरह तमाम अश्लील चिट्ठे भी कुछेक पोस्टों के बाद बंद हो गए।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-78617272550603368052007-04-21T02:46:00.000-04:002007-04-21T02:46:00.000-04:00उचित बात है ।उचित बात है ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-65620153159486592092007-04-21T00:52:00.000-04:002007-04-21T00:52:00.000-04:00इस बात से सहमति है कि नज़रंदाज कर देना इस समस्या क...इस बात से सहमति है कि नज़रंदाज कर देना इस समस्या का सबसे कारगर उपाय है, लेकिन तकनीकी और क़ानूनी उपाय भी हैं और होने चाहिए, जिन्हें जरूरत पड़ने पर प्रयोग में लाया जा सके। <BR/><BR/>इंटरनेट मानवजनित तकनीक ही है, कोई मायावी अलौकिक चीज नहीं, जिसके नियंत्रण एवं नियमन की क्षमता मानव के पास न हो। दुष्टता का जीवन अल्पकालिक होता है, उसे सज्जनता से परास्त होना पड़ता है। लेकिन सज्जन यदि दुष्टता को नजरंदाज करने लगें तो दुष्टता को हावी होने का अवसर मिल जाता है। <BR/><BR/>आपने इंटरनेट के अनुभवी और विशेषज्ञ के रूप में अपनी बातें कही हैं। लेकिन सायबर लॉ में कुछ ऐसे विशेषज्ञ भी हैं जो जितना वेब तकनीक को जानते हैं उतना ही क़ानून को भी। मुखौटाधारी और अनाम ट्रालियों को ट्रैक कर पाना तकनीकी और क़ानूनी रूप से असंभव नहीं है।<BR/><BR/>इससे संबंधित कुछ बातें मैंने चौपटस्वामी और ई-स्वामी के चिट्ठे पर भी टिप्पणी में कही हैं और एक पोस्ट भी लिख रहा हूं अपने चिट्ठे पर।Srijan Shilpihttps://www.blogger.com/profile/09572653139404767167noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-28797575056985967282007-04-20T22:25:00.001-04:002007-04-20T22:25:00.001-04:00सत्यवचन महाराज! आज स्वामीजी ने इसी विषय पर प्रवचन ...सत्यवचन महाराज! आज स्वामीजी ने इसी विषय पर प्रवचन दिया! आपके विचार भी जाने! भाव न देने की बात से सहमति है!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-71425085772239492382007-04-20T22:25:00.000-04:002007-04-20T22:25:00.000-04:00भली बात कही..भली बात कही..अभय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/05954884020242766837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-60004935669978272742007-04-20T13:57:00.000-04:002007-04-20T13:57:00.000-04:00एक बेहतरीन सुझाव.उन्मुक्त इसे अपना कर सार्वजनिक रू...एक बेहतरीन सुझाव.<BR/><BR/>उन्मुक्त इसे अपना कर सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्त कर ही चुके हैं और मैंने तो इसे पहले से ही अपनाया हुआ है!रवि रतलामीhttps://www.blogger.com/profile/07878583588296216848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-91879260826414588802007-04-20T13:54:00.000-04:002007-04-20T13:54:00.000-04:00बहुत सही.. कह दी पते की बात..बहुत सही.. कह दी पते की बात..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.com