tag:blogger.com,1999:blog-3870714.post4555786742377687562..comments2024-03-13T07:37:42.016-04:00Comments on हिन्दी: स्ट्राइसैंड प्रभावv9yhttp://www.blogger.com/profile/07973018577021600722noreply@blogger.comBlogger25125tag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-24328012076495344242007-10-31T14:33:00.000-04:002007-10-31T14:33:00.000-04:00rd3kkV Please write anything else!rd3kkV Please write anything else!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-7569826076965887342007-10-30T09:21:00.000-04:002007-10-30T09:21:00.000-04:00Please write anything else!Please write anything else!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-18482550089388286182007-10-30T05:29:00.000-04:002007-10-30T05:29:00.000-04:00Wonderful blog.Wonderful blog.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-39960019385306006052007-10-30T02:16:00.000-04:002007-10-30T02:16:00.000-04:00Wonderful blog.Wonderful blog.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-32910543683394973492007-10-28T10:44:00.000-04:002007-10-28T10:44:00.000-04:00actually, that's brilliant. Thank you. I'm going t...actually, that's brilliant. Thank you. I'm going to pass that on to a couple of people.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-72961398857804361422007-10-27T16:05:00.000-04:002007-10-27T16:05:00.000-04:00Please write anything else!Please write anything else!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-610371769259732202007-10-27T15:19:00.000-04:002007-10-27T15:19:00.000-04:00Nice Article.Nice Article.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-836755046657602502007-10-26T15:42:00.000-04:002007-10-26T15:42:00.000-04:00Magnific!Magnific!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-42079525353608702512007-10-26T15:16:00.000-04:002007-10-26T15:16:00.000-04:00Please write anything else!Please write anything else!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-89563037088562193862007-10-26T14:04:00.000-04:002007-10-26T14:04:00.000-04:00l8EMXO Thanks to author.l8EMXO Thanks to author.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-85559627156973750672007-10-26T04:34:00.000-04:002007-10-26T04:34:00.000-04:00wSlb3Y Your blog is great. Articles is interesting...wSlb3Y Your blog is great. Articles is interesting!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-18125508570098763312007-06-19T13:18:00.000-04:002007-06-19T13:18:00.000-04:00सटीक और बेहतरीन लेख।सटीक और बेहतरीन लेख।Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-34777586305336514692007-06-19T10:15:00.000-04:002007-06-19T10:15:00.000-04:00@मैथिली,आप मुझे v9yडॉटrecएटgmailडॉटcom पर लिख सकते...@मैथिली,<BR/>आप मुझे v9yडॉटrecएटgmailडॉटcom पर लिख सकते हैं.<BR/><BR/>@हिंदी ब्लॉगर,<BR/>डीमोज़ का कच्चा माल सिर्फ़ गूगल में ही नहीं सैंकड़ों (जी, सैंकड़ों) छोटी-बड़ी निर्देशिकाओं में जाता है, जिनमें लाइकॉस और हॉटबॉट जैसे इंजन भी शामिल हैं. <BR/><BR/>डीमोज़ किसका है यह इस पोस्ट का मुद्दा नहीं है. गूगल के इसमें निवेश करने (5% शेयर) या न करने से डीमोज़ की साइट शामिल करने की नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. अर्सा पहले मैं उसके कुछ वर्गों का सम्पादक रह चुका हूँ. आलोक और देबाशीष ने तो काफ़ी काम किया है. वे अभी भी जुड़े हैं. आप उनसे पूछ सकते हैं.<BR/><BR/>पर जैसा मैंने पहले लिखा यह बहस अब मेरी पोस्ट की मूल बात से बहुत भटक चुकी है और इसे विराम देना चाहिये, कम से कम यहाँ.v9yhttps://www.blogger.com/profile/07973018577021600722noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-72190722775831287752007-06-19T07:46:00.000-04:002007-06-19T07:46:00.000-04:00माफ़ कीजिएगा फिर टिपियाने आ गया. हिंदीब्लॉग्स डॉटक...माफ़ कीजिएगा फिर टिपियाने आ गया. हिंदीब्लॉग्स डॉटकॉम पर मौजूद एड्रेस पर संदेश डिलीवर नहीं हुआ तो यहाँ आना पड़ा.<BR/><BR/>प्रतीक भाई से कहना चाहूँगा कि मैंने नारद के किसी वाद से नहीं जुड़े होने की बात कही है, और ये नहीं कहा कि हिन्दीब्लॉग्स.कॉम किसी वाद से जुड़ा है. इसी तरह मैंने नारद का व्यावसायिक उद्देश्य नहीं होने की बात की है, इसका मतलब ये नहीं कि व्यावसायिक उद्देश्य रखना कोई बुरी बात है. मेरे चिट्ठे पर भी एडसेंस को जगह दी गई है.<BR/><BR/>नारद के 'नहीं' को हिन्दीब्लॉग्स.कॉम का 'हाँ' मैंने कहाँ बताया है? मैंने तो नारद के अन्य निर्देशिकाओं से अलग होने की बात को स्पष्ट करने के लिए हिन्दीब्लॉग्स.कॉम को सामने रखा था.<BR/><BR/>अंत में, बात गूगल-डिमोज़ संबंधों की. डेढ़ साल पहले गूगल ने एओएल में एक अरब डॉलर का निवेश किया है. नेटस्केप एओएल का है, जो dmoz की देखभाल करता है. ज़ाहिर है सीधे तौर पर डिमोज़ गूगल का बच्चा नहीं है, लेकिन उसके लालन-पालन में गूगल का पैसा भी लगता है. गूगल निर्देशिका का कच्चा-माल डिमोज़ निर्देशिका से ही तो आता है- <BR/><BR/>''How can I submit a web page to the Google Directory? <BR/><BR/>The web pages in the Google directory have been selected by thousands of volunteer editors from the Netscape Open Directory Project. If you would like to submit a web page to be included in future versions of the directory, you may submit the web page directly to the Open Directory by following the instructions here.''<BR/><BR/>गूगल अपनी निर्देशिका के होमपेज पर डिमोज़ का हराभरा लिंक यूँ ही नहीं लगाता है.हिंदी ब्लॉगर/Hindi Bloggerhttps://www.blogger.com/profile/04059710706721725509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-85250384089768187952007-06-19T07:15:00.000-04:002007-06-19T07:15:00.000-04:00मौके पर कही आपने.अच्छी लगी. शुक्रिया. आप दोनो की ब...मौके पर कही आपने.अच्छी लगी. शुक्रिया. आप दोनो की बहस भी अच्छी लग रही है. पर इस बहस से नारद को कोई भी सर्टिफिकेट नही दिया जा सकता. वो हमेशा विवादित ही रहेगा.. धन्यवादVIMAL VERMAhttps://www.blogger.com/profile/13683741615028253101noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-26727365620860246822007-06-19T06:32:00.000-04:002007-06-19T06:32:00.000-04:00बिलकुल सही !बिलकुल सही !Pratyakshahttps://www.blogger.com/profile/10828701891865287201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-78783376974677024332007-06-19T04:51:00.000-04:002007-06-19T04:51:00.000-04:00v9y जी; आपको कोइ ई-मेल कैसे लिखे, किस पते पर लिखे?...v9y जी; आपको कोइ ई-मेल कैसे लिखे, किस पते पर लिखे?मैथिली गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/09288072559377217280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-11850680627715109642007-06-19T02:48:00.000-04:002007-06-19T02:48:00.000-04:00सटीक और समयानुकूल लेख। शायद इससे लोगों को इस मुद्द...सटीक और समयानुकूल लेख। शायद इससे लोगों को इस मुद्दे पर सही राय बनाने में मदद मिलेगी।<BR/><BR/>@ हिन्दी ब्लॉगर जी,<BR/>कृपया बताएँ कि http://www.hindiblogs.com/ आपको किस वाद से जुड़ा लगता है? क्या व्यावसायिक होना इतनी बुरी बात है? वैसे, आपका क्या सोचना है कि हिन्दी की साइट पर लगे विज्ञापन कितना पैसा देते होंगे?<BR/><BR/>@ विनय जी,<BR/>बहस करने के लिए आपके ब्लॉग का इस्तेमाल कर रहा हूँ। माफ़ी चाहता हूँ। :)Pratik Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/02460951237076464140noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-5374955216194634372007-06-19T01:03:00.000-04:002007-06-19T01:03:00.000-04:00कितने आसान लफ़्ज़ों में आपने न केवल सब कुछ समझा दिया...कितने आसान लफ़्ज़ों में आपने न केवल सब कुछ समझा दिया बल्कि संदेश भी दे दिया!<BR/>बहुत बढ़िया!Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-44634928529292220822007-06-18T22:56:00.000-04:002007-06-18T22:56:00.000-04:00फ़र्स्ट क्लास..फ़र्स्ट क्लास..azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-7254161026820502962007-06-18T22:39:00.000-04:002007-06-18T22:39:00.000-04:00@हिंदी ब्लॉगर,मेरे विचार से नारद और hindiblogs.com...@हिंदी ब्लॉगर,<BR/>मेरे विचार से नारद और hindiblogs.com में श्रेणीगत कोई फ़र्क़ नहीं है. व्यावसायिक होना न होना उनके निर्देशिका होने पर कोई असर नहीं डालता. नारद ने अपने खर्चे चलाने के लिए चन्दे का रास्ता चुना, हिन्दीब्लॉग्स ने विज्ञापनों का. न ही किसी वाद से जुड़ाव इन्हें अलग श्रेणियों में डालेगा. वैसे भी हिन्दीब्लॉग्स कम से कम मुझे तो किसी वाद से जुड़ा नहीं लगा. <BR/><BR/>dmoz गूगल की निर्देशिका नहीं है. यह एक मुक्त निर्देशिका है जो गूगल के जन्म के काफ़ी पहले से मौजूद है. बहरहाल, आपके उद्धृत अंश मेरी बात की ही वकालत करते हैं. साइट की सामग्री के बारे में उनके निषेध सिर्फ़ ग़ैरकानूनी सामग्री तक सीमित है (जो आपके द्वारा उद्धृत चौथे बिन्दु में है), जिससे किसी को इंकार नहीं होगा; मुझे तो नहीं है. बाक़ी के बिन्दु उनकी प्रक्रिया के बारे में है, साइट की सामग्री के बारे में नहीं.<BR/><BR/>जैसा मैंने पहले भी लिखा अच्छी बहस के लिए ब्लॉग की टिप्पणी वाली जगह को मैं बड़ा कष्टकारी पाता हूँ. आप भी आगे यहाँ बात नहीं करना चाहते. चाहें तो ईमेल लिख सकते हैं.v9yhttps://www.blogger.com/profile/07973018577021600722noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-68244953394393949842007-06-18T22:13:00.000-04:002007-06-18T22:13:00.000-04:00एक बार फिर विनम्र असहमति व्यक्त करना चाहूँगा आपके ...एक बार फिर विनम्र असहमति व्यक्त करना चाहूँगा आपके इस विचार से, कि नारद एक निर्देशिका मात्र है. महज़ निर्देशिका का एक क्लासिक उदाहरण ये रहा- <A HREF="http://www.filmyblogs.com/hindi.jsp" REL="nofollow">हिन्दीब्लॉग्स डॉट कॉम</A><BR/>ख़ुद क्लिक कर देखें नारद से कितना अलग है ये. न कोई सूचना है, न दोतरफ़ा संचार. और, इसकी व्यावसायिक नज़र को भी भाँपा जा सकता हैं. दूसरी ओर नारद के संचालकों के हिंदी-प्रेम/सेवा-भाव को भले ही मान्यता न दें, आपको उनके किसी वाद/ism से जुड़े होने या किसी व्यावसायिक उद्देश्य की झलक तो नहीं ही मिलेगी.<BR/><BR/>इससे पहले की टिप्पणी में गूगलवा का उदाहरण मैंने विषयवस्तु से भटक कर नहीं, बल्कि लतियाने के दर्शकों के अधिकार की आपकी उपमा के मद्देनज़र दिया था. कोई चीज़ या जुगाड़ जब अत्यंत उपयोगी हो जाए तो उन्हें लतियाने की इच्छा भी दबानी पड़ जाती है. गूगल को लतियाने की चाहत रखने वाले भी उसकी सेवाओं से महरूम नहीं रहना चाहते. नारद की आलोचना भले ही बहुत लोग करना चाहें, उसे लतियाने की हार्दिक इच्छा मुट्ठी भर लोगों की ही होगी.<BR/><BR/>इसी तरह विकिपीडिया का ज़िक्र भी मैंने भटकाव में नहीं किया था. मैं तो महज़ निवेदन करना चाहता था कि बंधनमुक्त या उन्मुक्त-वेब के इस प्रमुख प्रतीक को भी एक विस्तृत आचार-संहिता अपनानी पड़ी, जिसका कड़ाई से पालन भी होता है.<BR/><BR/>और अंत में एक बार फिर निर्देशिका की बात. जैसा कि आप जानते हैं गूगलवे का भी एक डाइरेक्टरी प्रोजेक्ट है- <A HREF="http://dmoz.org/add.html" REL="nofollow">dmoz</A>. ये भी सबके लिए खुला है, लेकिन खुल्ला नहीं. उसकी विस्तृत नियमावली(ऊपर की लिंक पर चटका लगाएँ) से कुछ मनके प्रस्तुत करने की अनुमति चाहूँगा-<BR/><BR/><B>...Be polite and civil -- threatening or abusive behavior will not be tolerated.</B><BR/><BR/><B>...We take all feedback seriously and give it our thoughtful consideration. But please remember that we must exercise our discretion and make numerous judgment calls as to how to make the ODP as useful as possible -- no matter what decision we make, we may not always satisfy everyone.</B><BR/><BR/><B>...You may not always agree with our choices, but we hope you recognize that we do our best to make fair and reasonable decisions.</B><BR/><BR/><B>...The Open Directory has a policy against the inclusion of sites with illegal content. Examples of illegal material include child pornography; libel; material that infringes any intellectual property right; and material that specifically advocates, solicits or abets illegal activity (such as fraud or violence).</B><BR/><BR/>(इस पोस्ट पर और प्रतिक्रिया देने से बचना चाहूँगा क्योंकि देखने में कीर्तन जैसा लगेगा.)<BR/><BR/>सादर.हिंदी ब्लॉगर/Hindi Bloggerhttps://www.blogger.com/profile/04059710706721725509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-62846984900872611232007-06-18T20:52:00.000-04:002007-06-18T20:52:00.000-04:00@हिंदी ब्लॉगर,जी, सच कहूँ तो पिछले कुछ अर्से से गू...@हिंदी ब्लॉगर,<BR/><BR/>जी, सच कहूँ तो पिछले कुछ अर्से से गूगल लात खाने के नहीं तो कम से कम डराने के काम ज़रूर कर रहा है. जिस तरह अभियान रूप में वो हमारे जीवन सूत्रों को इकट्ठा करने और सँभाल कर रखने की कोशिश कर रहा है, मैं काफ़ी अर्से से उसे इस्तेमाल करते समय आरामदायक स्थिति में नहीं हूँ. ख़ासकर उसके खोज इतिहास और डेस्कटॉप खोज के कुछ विकल्प तो बड़े डरावने हैं (और जिनकी वजह से मैं इन्हें पहले ही लतिया चुका हूँ). पर हम बात से भटक रहे हैं. प्राइवेसी बिल्कुल अलग चीज़ है. ज़िक्र प्राइवेसी का नहीं था, उसे सुरक्षित रखने के लिए किए गए उपाय का था. <BR/><BR/>विकिपीडिया को कितना खुला होना चाहिये ये एक बड़ी चर्चा का विषय है, जो उनके अपने मंच पर काफ़ी हो चुकी है. एक तर्क ये है कि अगर ये खुला न होता तो इतना बड़ा भी न होता. दूसरा ये कि इस खुलेपन की वजह से चरित्रहनन (और कहीं इसका उल्टा) भी संभव हुआ है. उन्होंने कुछ उपाय किये हैं और उम्मीद हैं कि वे प्रभावी होंगे, हालाँकि कम रुचि वाले विषयों में वे पक्षपातपूर्ण जानकारी से कैसे बचेंगे पता नहीं. पर रुकिये, हम फिर इस पोस्ट के विषय से अलग बात कर रहे हैं. विकिपीडिया एक सामग्री स्थल है, निर्देशिका नहीं. दोनों की जिम्मेदारियाँ, उनकी समस्याएँ और उनसे निपटने के तरीके अलग-अलग हैं. <BR/><BR/>मैंने इस विशिष्ट विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं की है और अब भी बचना चाहूँगा, जब तक मैं मुद्दे को पूरा समझ नहीं लेता. पर सामान्य तौर पर इतना कहूँगा कि एक निर्देशिका (जिसका काम महज़ दूसरे वेबपन्नों तक निर्देशित करना है - फ़ीड संकलक भी इसी श्रेणी की चीज़ है) के लिए बात व्यक्तिगत छीछालेदर का समर्थन या विरोध करने की नहीं है, उससे निरपेक्ष रहने की है. बात उसपर प्रतिक्रिया करने से पैदा होने वाली व्यावहारिक समस्याओं की है. बात प्रतिक्रिया की प्रभावहीनता की है. बात उसके उल्टे प्रभाव की है. इस पोस्ट में जिक़्र उसी का था.<BR/><BR/>लिखने के लिए शुक्रिया.v9yhttps://www.blogger.com/profile/07973018577021600722noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-23769883969900069902007-06-18T19:53:00.000-04:002007-06-18T19:53:00.000-04:00विभिन्न ब्लॉगों पर आपकी टिप्पणियों के माध्यम से आप...विभिन्न ब्लॉगों पर आपकी टिप्पणियों के माध्यम से आपको एक सुलझे हुए व्यक्ति के रूप में जानता हूँ. लेकिन इस पोस्ट को पढ़कर दुख हुआ, क्योंकि इसमें विचार 'छाँट-छाँट' कर रखे गए हैं. पूर्णता में नहीं रखे गए हैं.<BR/><BR/>आप तो नेट पर सदैव विचरण करने वालों में से हैं, तो आपने पिछले हफ़्ते प्राइवेसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ज़रूर ही पढ़ी होगी. इस प्रतिष्ठित संस्था ने ज़ाती-ज़िंदगी में ताक-झाँक करने वालों की सूची में सबके दुलारे गूगलवा को सबसे निचली पायदान पर रखा है. और आपसे बेहतर कौन बताएगा कि गूगल अरबों डॉलर की कमाई इसी ताकझाँक के ज़रिए करता है. लेकिन मुझसे स्टाम्प-पेपर पर लिखवा लें...आप गूगलवा को नहीं लतियाएंगे. सबूत है आपका ये लेख, जो गूगलवे ने हम तक पहुँचाया है.<BR/><BR/>थोड़ा और पीछे जाएँ तो दो महीने पहले विकिपीडिया के संस्थापक जिम्बो साहब की स्वीकारोक्ति भी आपको मिलेगी कि 'खुल्ली' आज़ादी का फ़ायदा खुल कर उठाते हुए कुछ लोग विकिपीडिया पर गंद फैलाते हैं. उनके लिए शर्मनाक परिस्थितियाँ पैदा करते हैं. इसीलिए उन्होंने विकिपीडिया पर सूचनाओं की निगरानी के उपाय और कड़े करने की बात की है. ग़ौरतलब है कि विकिपीडिया की चिंता मुख्यत: व्यक्ति-विशेष के मान-मर्दन में इस उपयोगी मंच का इस्तेमाल करने वालों को लेकर है.<BR/><BR/>औघड़ी भाषा के उपयोग की जिद्द समझी जा सकती है. गूगल औघड़ी भाषा/तांत्रिक परंपरा वाले लाखों ब्लॉगों को न सिर्फ़ स्वीकार करता है, बल्कि उन पर बेहिचक Adsense भी डालता है. लेकिन कोई समझदार आदमी वैचारिक मतभेदों को व्यक्तिगत छीछालेदर में व्यक्त करने के आग्रह को क्यों कर समर्थन देगा?<BR/><BR/>(ये टिप्पणी करते हुए Word Verification की आपकी शर्त को पूरा करने जा रहा हूँ. इसलिए ये मानने का जी करता है कि आप भी 'खुल्ली' आज़ादी के हामी नहीं हैं!)<BR/><BR/><A HREF="http://www.privacyinternational.org/article.shtml?cmd[347]=x-347-553960" REL="nofollow">प्राइवेसी इंटरनेशनल की गूगल रिपोर्ट</A><BR/><BR/><A HREF="http://en.wikipedia.org/wiki/Wikipedia:Etiquette" REL="nofollow">विकिपीडिया आचार-संहिता</A>हिंदी ब्लॉगर/Hindi Bloggerhttps://www.blogger.com/profile/04059710706721725509noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3870714.post-2508736326382354792007-06-18T17:29:00.000-04:002007-06-18T17:29:00.000-04:00विनय जीबहुत मार्के की बात कही है आपने, इस पूरी बहस...विनय जी<BR/>बहुत मार्के की बात कही है आपने, इस पूरी बहस में अब तक की सबसे सार्थक और ठोस दलील. मैं तकनीकी दृष्टि से घोर अज्ञानी हूँ लेकिन यह पहले से जानता था कि बैन का कोई मतलब नहीं है. आपने जिस तार्किक, क्रमबद्ध तरीक़े से उदाहरणों के साथ बात को समझाया है उसका कायल हो गया.<BR/>आप प्रतिबंधों की सियासत को कितनी अच्छी तरह समझते हैं और जनता क्या सोचती है इस पर भी आपकी पकड़ है, यह सब देखकर मन खुश हुआ.<BR/>साधुवादअनामदासhttps://www.blogger.com/profile/10451076231826044020noreply@blogger.com